हरदा गहाल । विश्व शांति सेवा धार्मिक एवं पार मार्थिक ट्रस्ट एवं चाचरे परिवार के संयुक्त तत्वाधान में 28 फरवरी से 5 मार्च तक प्रतिदिन दोपहर 12 :बजे से गौरज ग्राम गहाल में पूज्य श्री अभिषेकानंद जी महाराज के मुखारबिंद से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के द्वितीय दिवस पर कथा के मुख्य यजमान चाचरे परिवार व हजारों की संख्या में भक्तों ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया।
द्वितीय दिवस की भागवत कथा में अमर कथा एवं शुकदेव जी के जन्म का वृतांत विस्तार से वर्णन किया गया।
कथा के द्वितीय दिवस की शुरुआत में गहाल के शिष्य परिवार द्वारा व्यास पीठ का पूजन किया गया महाराज श्री ने कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि स्वास्थ्य दो प्रकार के होते है। एक शारीरिक स्वास्थ , एक मानसिक स्वास्थय ह्रदय का भी स्वस्थ रहना परम आवश्यक है और शरीर का भी स्वस्थ रहना परम आवश्यक है। जब शरीर स्वस्थ होगा तो ह्रदय स्वस्थ होकर भगवान में लगेगा। शरीर में कही रोग हो तो फिर भगवान में, कथाओं में मन कम लगता है। तो शरीर के व्यायाम योग के लिए 24 मिनट निकालना एवं भगबान के लिए 24 मिनट निकालना आवश्यक है । महाराज श्री ने व्यास पीठ से प्रार्थना करते हुए कहा सिर्फ भारतियों के लिए नही पुरे विश्व के लिए हे मेरे ठाकुर जी मेरे देश के ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया के जितने भी जीव आत्माएं इस समय संसार में है आप सब की रक्षा करें आप सबको सुरक्षा प्रदान करें, आप सभी को इन बिमारियों से मुक्त करें यही मेरी प्रार्थना है।कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा की श्रीकृष्ण दुखी है की इस कलयुग के व्यक्ति का कल्याण कैसे हो, राधारानी ने पूछा क्या आपने इनके लिए कुछ सोचा है। प्रभु बोले एक उपाय है हमारे वहां से कोई जाए और हमारी कथाओं का गायन कराए और जब ये सुनेंगे तो इनका कल्याण निश्चित हो जाएगा। बात आई की कौन जाएगा, तो बोले की शुक जी जा सकते हैं, शुक को कहा गया वो जाने के लिए तैयार हो गए। श्री शुक भगवान की कथाओंका गायन करने के लिए जा रहे हैं तो मार्ग में कैलाश पर्वत पड़ा, कैलाश में भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। भागवत वही अमर कथा है जो भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी। कथा सुनना भी सबके भाग्य में नहीं होता जब भगवान् भोलेनाथ से माता पार्वती ने उनसे अमर कथा सुनाने की प्रार्थना की तो बाबा भोलेनाथ ने कहा की जाओ पहले यह देखकर आओ की कैलाश पर तुम्हारे या मेरे अलावा और कोई तो नहीं है क्योकि यह कथा सबको नसीब में नहीं है। माता ने पूरा कैलाश देख आई पर शुक के अपरिपक्व अंडो पर उनकी नज़र नहीं पड़ी। भगवान शंकर जी ने पार्वती जी को जो अमर कथा सुनाई वह भागवत कथा ही थी। लेकिन मध्य में पार्वती जी को निद्रा आ गई और वो कथा शुक ने पूरी सुन ली। यह भी पूर्व जन्मों के पाप का प्रभाव होता है कि कथा बीच में छूट जाती है। भगवान की कथा मन से नहीं सुनने के कारण ही जीवन में पूरी तरह से धार्मिकता नहीं आ पाती है। जीवन में श्याम नहीं तो आराम नहीं। भगवान को अपना परिवार मानकर उनकी लीलाओं में रमना चाहिए। गोविंद के गीत गाए बिना शांति नहीं मिलेगी। धर्म, संत, मां-बाप और गुरु की सेवा करो। जितना भजन करोगे उतनी ही शांति मिलेगी। संतों का सानिध्य हृदय में भगवान को बसा देता है। क्योंकि कथाएं सुनने से चित्त पिघल जाता है और पिघला चित ही भगवान को बसा सकता है।श्री शुक जी की कथा सुनाते हुए महाराज श्री ने बताया कि श्री शुक जी द्वारा चुपके से अमर कथा सुन लेने के कारण जब शंकर जी ने उन्हें मारने के लिए दौड़ाया तो वह एक ब्राह्मणी के गर्भ में छुप गए। कई वर्षों बाद व्यास जी के निवेदन पर भगवान शंकर जी इस पुत्र के ज्ञानवान होने का वरदान दे कर चले गए। व्यास जी ने जब श्री शुक को बाहर आने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि जब तक मुझे माया से सदा मुक्त होने का आश्वासन नहीं मिलेगा। मैं नहीं आऊंगा। तब भगवान नारायण को स्वयं आकर ये कहना पड़ा की श्री शुक आप आओ आपको मेरी माया कभी नहीं लगेगी ,उन्हें आश्वासन मिला तभी वह बाहर आए।यानि की माया का बंधन उनको नहीं चाहिए था। पर आज का मानव तो केवल माया का बंधन ही चारो ओर बांधता फिरता है। और बार बार इस माया के चक्कर में इस धरती पर अलग अलग योनियों में जन्म लेता है। तो जब आपके पास भागवत कथा जैसा सरल माध्यम दिया है जो आपको इस जनम मरण के चक्कर से मुक्त कर देगा और नारायण के धाम में सदा के लिए आपको स्थान मिलेगा। श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पर जड़भरत संवाद, नृसिंह अवतार, वामन अवतार का वृतांत सुनाया जाएगा। कथा में 2 मार्च से अनेक राष्ट्रीय संत पधारेंगे जिनमे महामंडलेश्वर 1008 श्री दादू जी महाराज एवं राष्ट्रीय संत श्री भय्यू जी महाराज की धर्मपत्नी डॉ आयुषी देशमुख भी सम्मिलित होंगी।