बैतूल जिले में है पारद शिवलिंग विराजमान है

बैतूल।भगवान शिव की महिमा अनंत है जिसका जितना वर्णन किया जाए उतना ही कम हैं। भगवान शिव की मूर्तियां कम और शिवलिंग हमे ज्यादा मंदिरों में नजर आते हैं। शिवषक्ति के प्रतीक के रुप में भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा पाने के लिए श्रद्धालुओ द्वारा शिवलिंग का पूजन किया जाता हैं। भगवान शिव आषुतोष है जो जल्द प्रसन्न होकर भक्तों को मनमाना वरदान देते है। इसलिए उन्हे आषुतोष कहा गया है।यू तो शिवलिंग कई प्रकार के बनाए जाते है।जिन बस्तुओं से शिवलिंग बने होते है तो उनके मिलने वाले फल अलग अलग बताए जा रहें हैं। शिवलिंग मुख्यतः हमें पत्थरों निर्मित मिलते है। नर्मदा,गंगा,व्यास सतलज और रावी पवित्र नदियों में पाए जाने वाले गोल पत्थर भी शिवलिंग के रुप में पूजे जाते हैं। इसी प्रकार से नर्मदा मेें मिलने वाले धावड़ी कुंड में मिलने वाले नर्मदेष्वर शिवलिंग की बहुत मान्यता हैं। इसी प्रकार से पीतल,अष्ट धातु,सोना,चांदी,तांबा आदि में सबसे महत्वपूर्ण पारद मरक्यूरी से बने शिवलिंग का महत्व होता है।


बैतूल जिले में है अनूठा पारदेष्वर शिवलिंग
मप्र के बैतूल जिले में भगवान पारदेष्वर की शिवलिंग विराजमान है। उनके शिष्यो की प्रार्थना पर 1996 में पूज्य सदगुरुदेव डा.नारायणदत्त श्रीमाली सन्यासी नाम स्वामी निखिलेष्वरानंद जी द्वारा स्थापित किया गया था।यह करीब 21 किलो पारे से बनाया गया हैं। श्रद्धालूओं की मान्यता है कि इस षिवलिंग में भगवान   शिव  के  विशेस को स्थापित किया गया है।षिष्यो ने इसे 13वा ज्योर्तिलिंग कहा है। यहां पर दर्षन करने वाले लोगो को नित नए नए अध्यात्मिक अनुभव होते है। त् पर भगवान के अभिषेक का अलग अलग महत्व होता है। सरसो के तेल से होगा रोग नाश,गन्ने के रस से अभिषेक से बनेंगे लक्ष्मी प्राप्ति के योग पारदेश्वर मंदिर सरसो, गन्नारस और तीर्थस्थल से चारों ओर होगा अभिषेक।महाशिवरात्रि पर चिखलार के पारदेश्वर मंदिर में दो दिन तक भगवान भोलेनाथ का विशेष महाभिषेक होगा।चारों पहर होने वाले महाभिषेक की शुरुआत 20 फरवरी से होगी।पारदेश्वर मंदिर में गर्भगृह, सामान्य और चारों पहर का विशेष अभिषेक किया जाएगा। साधक कमलाकर धाड़से ने मंदिर में सरसो, गन्ने का रस, गाय के दूध में शकर सहित और तीर्थ जल से भगवान का अभिषेक दो दिनों तक लगभग पहर अभिषेक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरसो के तेल से अभिषेक करने से रोग नाश, गन्ने के रस से लक्ष्मी प्राप्ति के योग बनते हैं।


ऐसे बनेगा पारदेष्वर मंदिर
बैतूल जिले में भगवान पारदेष्वर मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा हैं।मंदिर की लंबाई 90 फीट और चैड़ाई 44 फीट होगी। गर्भगृह के अलावा सामने 2 अलग अलग मंडप बनाए जाएंगे।मंदिर के फाउंडेशन की ऊंचाई 65 फीट होगी। रेजिडेंस से 22 हजार घन फीट लाल पत्थर होगा।चिखलार में दान से बनेगा 13 वें ज्योतिर्लिंग निखिल पारदेश्वर मंदिर शहर से चार किमी दूर चिखलार में 13 वें ज्योतिर्लिंग निखिल परदेश्वर मंदिर का निर्माण चल रहा है। मंदिर के प्रति लाल पत्थर से बन रहा है। मंदिर निर्माण में 22 हजार घनफीट लाल पत्थर का उपयोग किया जाएगा।रेज के लाल पत्थर से बनने के बाद यह उड़ीसा के पौराणिक की तरह से शुरू हुआ। एक साल पहले मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था। साधकों सहित दानकर्ताओं की मदद से एक साल में 17 लाख रुपये से मंदिर के फाउंडेशन का काम पूरा हो गया है।