जय भोलेनाथ के उद्धघोष से होती सिराली के लोगो के दिन की शुरुआत


मकड़ाई समाचार सिराली। नगर में शिवभक्तों के लिए खुद भगवान उनके नगर आए। ऐसी मान्यता यहां के तिल भांडेश्र्वर मंदिर की है। जहां आज भी हजारो भक्त दर्शन करते है।नगर का प्राचीन तिल भांडेश्र्वर महादेव मंदिर हैं। नगर के सुरेशचंद्र गुप्ता ने बताया कि यह शिवलिंग नर्मदा में मिला था। मंदिर करीब दो सौ साल पुराना है।इससे जुड़ी कहानी यह है,कि नगर से अनेक लोग नर्मदा स्नान के लिए जाते थें।इन्ही में शिवभक्त परसाई जी भी लोगो के साथ आमावस्या पर मां नर्मदा में स्नान के लिए हंडिया गए थे। जहां उन्होने स्नान के साथ पूजन कर मां रेवा का प्रणाम किया और जाते जाते जल ग्रहण करने हाथ नदी में डाला ही था कि उनके हाथ में नर्मदेश्र्वर शिवलिंग आ गए।उन्हे वो साथ लेकर घर की और रवाना हुए। पंडित परसाई जी माचक नदी के पास पानी पीने को रुके तो बताया जाता है कि उनके पास से शिवलिंग नदी में गिर गया। उन्होने खोजा तो उन्हे नही मिला और दुखी मन से घर आ गए । रात को स्वपन में भगवान ने उन्हे पुनः खोजने को कहा।


तिल बराबर हर साल बढ़ते है तिलभांडेश्वर भगवान


पंडित परसाई जी ने जैसा स्वपन मे देखा उसी अनुसार शिवलिंग की माचक नदी में खोज की और माचक से शिवलिंग लाकर पूजा की इससे और पूजा के बाद शिवलिंग का आकार अचानक बढ़ गया। जिससे उन्होने भगवान से प्रार्थना की आप तिल तिल कर बढ़े।ऐसा कहा जाता हैं कि प्रति मकर संक्रांति को भगवान तिल भांडेश्र्वर तिल बराबर  बढ़ रहें है।


जनसहयोग से बना तिल भांडेश्र्वर मंदिर


भगवान के आदेशानुसार स्वप्रेरणा शिवलिंग की स्थापना परसाई जी ग्रामीणों को बताई थी। इसके बाद श्रद्धालुओ ने धीरे धीरे यहां पर मंदिर का स्वरुप देना प्रारंभ किया। पहले यहां एक छोटी सी कुटिया में भगवान को स्थापित किया गया था। मंदिर निर्माण में प्राचीन काल में मंदिर निर्माण के लिए जिन प्राकृतिक वस्तुओ का उपयोग किया जाता था। वही किया है जैसे सीमेंट के बजाया अमाड़ी,बिल्व फल,अलसी आदि का उपयोग किया गया था। यहां पर विशेष गुम्मद पर घोल का लेप किया गया है।जिससे हर मौसम में यह सुरक्षित रहे।इस पर मौसम का असर न हों। प्रतिदिन तिल भाडेश्र्वर मंदिर में प्रातः 4 बजे पूजन प्रारंभ हो जाता है।इस दौरान सुगंधित पुष्पो से भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है।इसके बाद 7 बजे भस्म आरती होती। दिन भर लोगो का तांता लगा रहता हैं।श्रावण के पूरे माह महिलाएं और पुरुषो की भारी भीड़ रहती है।शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की बरात निकाली जाती है जिसका गांव के मुख्यमार्गो पर डीजे ढोल और नृत्य के साथ भ्रमण होता है जिसका जगह जगह पर फूलो की बारिश कर नगरवासी स्वागत करते है। इस समय मंदिर समिति से जुडे़ सदस्य है। जिनके द्वारा मंदिर का रखरखाव एवं समय समय पर होने वाले सांस्कृतिक समाजिक कार्यक्रम में अहम भुमिका रहती है।उनमें मुख्य सुरेशचंद्र गुप्ता,महेश कुशवाह,कुंज बिहारी सोमानी,चेतन कौशिक,केशव अग्रवाल,सोमेश अग्रवाल,प्रकाश सोमानी गोपाल सोनी,कैलाश अग्रवाल, पदम पटेल,केशव अग्रवाल नवीन अग्रवाल चिंटू अग्रवाल,मन्नू मुकाती माखन नामदेव सहित अन्य नागरिक है।