नर्मदा के कंकर होते है, नर्मदेश्वर 








 



खरगोन|भगवान् शिव  और प्रकृति का एक अद्भुत संयोग जिसका अंदाजा सिर्फ इसी बात से ही लगाया जा सकता है की नर्मदेश्वर शिवलिंग पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही जगह पाया जाता है और वो है नर्मदा नदी के किनारे बसे बकवान नामक गाँव में जो कि खरगोन जिले मे है जो जिले मुख्या लय से करीब ६० किमी. है। नर्मदेशर शिवलिंग अपने आप में प्रकृति की संरचना है. यहाँ नर्मदा नदी में पाए जाने वाले पत्थर सबसे अलग होते है जो बहाव के कारण अपने आप में ही अंडाकार हो जाते है. इसके बाद ये पत्थर गाँव के लोगो द्वारा इकट्ठे किये जाते है और फिर तरासने के बाद इन्हे पूरी दुनिया में भेजा जाता है|







घर में स्थापित किए जाने वाला अत्यन्त शुभ नर्मदेश्वर शिवलिंग




















ऐसा माना जाता है की एक मिटटी के लिंग की पूजा करने से जो फल मिलता है उससे सौ गुना ज्यादा फल नर्मदेशर शिवलिंग की पूजा करने से मिलता है. इसिलए घर में नर्मदेश्वर शिवलिंग का रखना शुभ माना गया है. नर्मदेश्वर शिवलिंग अलग अलग साइज के होते है और आपको ये ध्यान रखना है की जो शिवलिंग आप घर में रखने जा रहे है वो अंगूठे के आकार जितना होना चाहिए और बहुत अधिक बड़ा नहीं होना चाहिए|


धन, ऐश्वर्य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है








बाणलिंग अर्थात नर्मदेश्वर की पूजा करने से घर की गरीबी दूर चली जाती है 


और धन, ऐश्वर्य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।यदि आप लम्बे समय से बीमार है तो रोजाना महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए शिवलिंग का जलाभिषेक करे इससे सभी रोगो से मुक्ति मिलती हैश्रावण के महीने में इसकी पूजा विशेष फलदायी मानी गयी है और भगवान् शिव की कृपा से हर मुंहमांगी इच्छा पूरी होती है।भगवान शंकर ज्ञान के देवता हैं और लिंगाष्टक में कहा गया है–’बुद्धिविवर्धनकारण लिंगम्’, अत: शिवलिंग पूजा बुद्धि का वर्धन करती है तथा साधक को अक्षय विद्या प्राप्त हो जाती है।


सीधे करे पुजन प्राण-प्रतिष्ठा कि आवश्यकता नहीं



















ग्रंथो मे कहा जाता है नर्मदा नदी का हर कंकर शंकर है और सबसे ख़ास बात ये है की इसके प्राण-प्रतिष्ठा कि आवश्यकता नहीं होती।इसका पूजन सीधे स्थापित करके ही किया जा सकता है।शिवलिंग को आप घर के मंदिर में स्थापित कर सकते है। जिसमे उनका मुख उत्तर की ओर होना चाहिए। शिवपूजा में पवित्रता का अत्यन्त महत्त्व है, अत: स्नान करके रुद्राक्ष व भस्म लगाकर शिवपूजा करने से उमामहेश्वर की प्रसन्नता प्राप्त होती है। शास्त्रों में लिखा है|